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डायरेक्टर: विनय सप्रू और राधिका राव
स्टार कास्ट: मावरा होकेन , हर्षवर्धन राणे , मुरली शर्मा, विजय राज
अवधि: 2 घंटा 35 मिनट
सर्टिफिकेट: U
रेटिंग: 2.5 स्टार
राधिका राव और विनय सप्रू ने मिलकर कई सारे म्यूजिक एलबम और फिल्मों के स्पेशल गीत डायरेक्ट किये हैं. इन दोनों डायरेक्टर्स ने सलमान खान की फिल्म लकी- नो टाइम फॉर लव और आई लव न्यूयॉर्क को भी डायरेक्ट किया था जो बॉक्स ऑफिस पर निराशाजनक रहीं. इस बार इन डायरेक्टर्स की इस जोड़ी ने दो नए एक्टर्स के साथ रोमांटिक फिल्म बनाई है.जानें कैसी है फिल्म.
यह कहानी है इन्दर (हर्षवर्धन राणे) और सरस्वती पार्थसारथी उर्फ सारू (मावरा होकेन) की. इन्दर को प्यार से नफरत है तो वही सारू को कोई प्यार ही नहीं करता. दोनों एक ही बिल्डिंग के अलग अलग घरों में रहते हैं. जहां एक तरफ सारू का परिवार साउथ इंडियन है और संस्कारों में यकीन रखता है वहीँ इन्दर अपने पिता का आलिशान बंगलो छोड़कर यहां रहता है. सारू के परिवार को उसकी शादी की चिंता है जिससे की उसकी छोटी बहन कावेरी की शादी हो सके. कहानी आगे बढ़ती है और इन्दर और सारू के बीच कई सारे सीक्वेंस आते हैं, कभी लाईब्रेरी में काम करने वाली सारू से इन्दर वहाँ मिलता है तो कभी उसकी तलाश में दर दर भटकता है, आखिरकार इस लव स्टोरी को अलग अंजाम मिलता है जिसे जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.
इस फिल्म से हिंदी फिल्मों में डेब्यू कर रहे दोनों एक्टर्स मावरा होकेन और हर्षवर्धन राणे ने उम्दा अभिनय किया है. कई ऐसे सीक्वेंस आते हैं जब इमोशंस के साथ साथ करेक्ट शॉट की डिमांड थी, जिसे इन दोनों एक्टर्स ने मौके की नजाकत को ध्यान में रखते हुए दिया है. हर्षवर्धन का माचो लुक, और मावरा का मासूम चेहरा , उनके अभिनय की सहजता में चार चाँद लगाता है. वहीँ फिल्म में मुरली शर्मा, विजय राज ने भी अच्छा काम किया है.
फिल्म के गाने बहुत ही अच्छे हैं और रिलीज से पहले ही हिट हो चुके हैं. हिमेश रेशमियां ने अच्छा संगीत दिया है. बैकग्राउंड स्कोर भी कहानी के संग बखूबी जाता है. फिल्म की साज सज्जा, सिनेमेटोग्राफी, लोकेशंस और सींस की डिटेलिंग तारीफ के काबिल है. लेकिन पटकथा कमजोर और धीमी है. साथ ही कई सीक्वेंस ऐसे भी आते हैं जो वास्तविकता से परे हैं.
अच्छे एक्टर्स की पहली फिल्म और अच्छे संगीत से सजी हुई फिल्म देखना पसंद है, तो 'सनम तेरी कसम' जरूर देखें. फिल्म की कमजोर कड़ी ,इसकी स्क्रिप्ट है, जिसे और भी सटीक रखा जा सकता था, धीमी कहानी की वजह से अच्छा अभिनय भी आपको बोर होने पर विवश कर देता है.
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