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डायरेक्टर: सनी देओल
स्टार कास्ट: सनी देओल ,सोहा अली खान, ओम पूरी, मुरली शर्मा,टिस्का चोपड़ा, नरेंद्र झा, शिवम पाटिल, डायना खान,आँचल मुंजाल
अवधि: 2 घंटा 08 मिनट
सर्टिफिकेट: U/A
रेटिंग: 2 स्टार
साल 1990 में एक ब्लॉकबस्टर फिल्म 'घायल' रिलीज हुई और अब लगभग 25 साल बाद उसकी अगली किश्त बनाई गई है, जिसे कभी 'घायल पार्ट 2', तो कभी 'घायल रिटर्न्स' कहा गया और आखिरकार मेकर्स ने इसे 'घायल वन्स अगेन' कहा. फिल्म को खुद सनी देओल ने लिखा, अभिनय किया और डायरेक्ट भी किया है. अब क्या इस फिल्म को दर्शक उसी जज्बे के साथ देखना पसंद करेंगे जितना क्रेज पहले रिलीज हुई फिल्म 'घायल' को लेकर था ? आइए जानते हैं आखिर कैसी है सनी देओल की फिल्म 'घायल वन्स अगेन.
यहा कहानी एक दबंग बिजनेसमैन राज बंसल (नरेंद्र झा) और 'सत्यकाम' मीडिया के संचालक अजय मेहरा (सनी देओल) के बीच बड़े विवाद की है. राज बंसल युवाओं की आवाज को दबाना चाहता है और अजय मेहरा इन युवा बच्चों की सच्चाई को हर कीमत पर सामने लाने की कोशिश करता है. फिल्म में एसीपी जो डी सूजा (ओम पूरी) और रिहा (सोहा अली खान) की भी मौजूदगी है जो कहानी में अहम रोल प्ले करते हैं साथ ही युवा बच्चों के रूप में ऋषभ अरोड़ा (वरुण), शिवम पाटिल (रोहन), अनुष्का (आंचल मुंजाल) और जोया (डायना खान) हैं. अब क्या अजय मेहरा सच्चाई की ताकत से बुराइयों का अंत कर पाएगा? इसे जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.
फिल्म की कहानी बहुत ही साधारण है. यह एक अच्छाई और बुराई के बीच की जंग है जो फिल्मी पर्दे पर पिछले लगभग 6 दशकों से दिखाई जा रही है. कहानी इस सदी में बेस्ड है जिसमें फ्लैशबैक में फिल्म 'घायल' के कुछ पल भी दिखाए गए हैं. एक्शन और संवाद तो हैं लेकिन ऐसा कोई डायलॉग नहीं है जो आपको बहुत ज्यादा प्रभावित करे. युवाओं को ज्ञान देने की भरपूर कोशिश की गई है और एक्शन का ओवरडोज है, ट्रेन, कार, बाइक से लेकर हवाई जहाज के जरिए भरपूर एक्शन शामिल है, स्क्रिप्ट काभी खिंची हुई है. यह फिल्म वास्तविकता से काफी परे लगती है.
फिल्म में ओम पूरी , सोहा अली खान, टिस्का चोपड़ा समेत चारों युवा एक्टर्स ने अपने किरदार को बखूबी अदा किया है. सनी देओल भी अपने किरदार में सही नजर आ रहे हैं लेकिन ज्यादा इस रोल में ज्यादा कनेक्ट करते नजर नहीं आ रहे. फिल्म में नेगेटिव किरदार में नरेंद्र झा ने अच्छा काम किया है, नरेंद्र इससे पहले फिल्म 'हैदर' में नजर आए थे. फिल्म में दमदार एक्शन के लिए डायरेक्टर्स ने भी बखूबी काम किया है. फिल्म का संगीत ठीक ठाक है और कहानी के साथ जरूर जाता है. खास तौर से बैकग्राउंड म्यूजिक अच्छा है.
सबसे कमजोर कड़ी फिल्म की स्क्रिप्ट है जो 21वीं सदी में ज्ञानदायक दिखाई देती है. इसे युवाओं के हिसाब से और भी जबरदस्त लिखा जा सकता था. इतने अच्छे ताबड़तोड़ एक्शन के बीच कहानी फीकी पड़ गई. हालांकि सिंगल थिएटर के दर्शकों को फिल्म के एक्शन फैक्टर को देखने में जरूर मजा आएगा. सनी देओल के दीवाने हैं तो यह फिल्म जरूर देखें, नहीं तो पैसे बचाएं.
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