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| Rajpal yadav |
फिल्म अता पता लापता सितंबर में रिलीज होगी। उसमें पापाजी(दारा सिंह) ने एक अहम किरदार निभाया है। देश का जिस स्थिति-परिस्थिति में होश में अने के बाद से देख रहा हूं,उसी को कहानी के रूप में पर्दे पर उतारा है। मेरी फिल्म में थिएटर और फिल्मों के पौने दो सौ कलाकारों ने काम किया है। उनमें सबसे विलक्षण काम पापाजी का है। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि फिल्मों में उन्होंने कभी ऐसा किरदार नहीं निभाया। मेरी फिल्म उनकी स्मूति को ताजा करेगी। अता पता लापता उनको समर्पित होगी।
जून के आखिर में मुझे खबर मिली कि उनकी तबियत ज्यादा खराब चल रही है। हमें उनके स्वास्थ्य की चिंता थी। साथ ही यह भी फिक्र थी कि फिल्म में अभी उनकी डबिंग बाकी है। उन्होंने हमार चिंता और फिक्र मिटाते हुए सूचना भिजवायी कि वे डबिंग के लिए तैयार है। उनके स्वास्थ्य को देखते हुए हम ने उनके घर पर ही डबिंग का इंतजाम किया। उन्हें बतलाते रहे कि कैसी आवाज निकालें और वे दस साल के किसी नौसिखुए की तरह हमारे बताए तरीके से डबिंग करते रहे। उनके किरदार को उनकी आवाज नहीं मिली होती तो हमारी फिल्म अधूरी ही रह जाती। वाएाी की वैसी मृदुता और प्रौढ़ता कोई डबिंग आर्टिस्ट नहीं पैदा कर पाता।
हम तो उनके साने बच्चे थे। आजकल एक-दो फिल्में करने के बाद ही कलाकारों की चाल और आवाज बदल जाती है। उन्होंने सैकड़ों फिल्में कीं और अनगिनत खिताब जीते,लेकिन उनमें कोई गुरूर नहीं था। वे आचरण,व्यवहार और स्वभाव के धनी व्यक्ति थे। अपने व्यवहार से वे सामने वाले का दिल जीत लेते थे। हम ने विषम परिथितियों में भीड़ के बीच उन्हें बिठा कर शूटिंग की,लेकिन उन्होंने कभी उफ्फ तक नहीं की। वे हमेशा बढ़ावा देते थे। पीठ थपथपाते थे तो लगता था कि घर कोई बुजुर्ग दिल से आर्शीवाद दे रहा है।


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