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अभी थियेटर से ‘फटा पोस्टर निकला हीरो’ उतरी भी नहीं है कि शाहिद की फिल्म ‘आर... राजकुमार’ का नया ट्रेलर आ गया. देखने में बिल्कुल एक जैसा.. बस थोड़ा एक्शन ज्यादा, कॉमेडी कम और बन गई फिल्म.
हवा में उड़ती कारें, सिर पर फूटती बोतलें, कारों के चकनाचूर होते शीशे, बदन पर टूटती लाठियां और घूसों से हिलते चेहरे. प्रभुदेवा के एक्शन की यही परिभाषा है और इस बार सलमान या अक्षय की जगह उन्होंने शाहिद को खड़ा कर दिया है. इसलिए अगर हर शॉट में दूसरे हीरो की याद आए तो इसमें शाहिद का कोई कसूर नहीं है!
इस ‘आर... राजकुमार’ के नाम के पीछे की थ्योरी ये है कि पहले फिल्म ‘रैंबो राजकुमार’ के नाम से रिलीज होने वाली थी लेकिन रैंबो बनाने वालों ने फिल्म बनाने के लिए ‘रैंबो’ का कॉपीराइट ले रखा है इसलिए ‘रैंबो राजकुमार’ से कुछ अक्षर हटाकर ‘आर... राजकुमार’ कर दिया है. बॉलीवुड में जुगाड़ का ये नया फंडा है! अभी पोस्टर फाड़कर हीरो निकला था, इस बार फटे पोस्टर से रैंबो बाहर आया है. स्टाइल भी वैसा ही है बस फर्क ये है कि तब राजकुमार संतोषी लेकर आए थे और अब प्रभुदेवा की बारी है!
एक बार जो मैंने कमिटमेंट कर दी उसके बाद तो मैं खुद की भी नहीं सुनता.
चार साल बॉलीवुड में निर्देशक बनने उतरे डांसमास्टर प्रभुदेवा की स्टाइल का यही सार है. इसलिए जब भी उनकी फिल्मों, एक्शन की चर्चा होती है ये डायलॉग जुबान पर आ ही जाता है. सलमान के करियर को बुलंदियों पर पहुंचा देने वाले प्रभुदेवा ने डांस पर एक्शन के कपड़े पहनाए कॉम्बो गजब का हो गया. फिलहाल शाहिद की जुबान से भी कई चालू डायलॉग ऐसे ही सुनाई देते हैं.
साइलेंट हो जा वर्ना मैं वॉयलेंट हो जाऊंगा.
गुस्से से बोलेगी नहीं जाऊंगा.. प्यार से बोलेगी मर भी जाऊंगा.
हिट फिल्म के लिए तरसते इस चॉकलेटी हीरो ने पिछले चार साल में सारे तरीके आजमा लिए लेकिन एक भी फिल्म नहीं चली. 2009 में आई ‘कमीने’ के बाद बॉलीवुड ने शाहिद में ‘एक्टर’ की झलक देखी थी लेकिन गलत फिल्मों के चुनाव ने इस ‘कमीने’ को भुला दिया! उसके बाद आई ‘मौसम’ की कद्र इसलिए नहीं हो पाई क्योंकि थियेटर में फिल्म खत्म होते-होते ही कई मौसम बीत गए और ‘तेरी-मेरी कहानी’ जैसी फिल्मों में काम करने के लिए शाहिद को दर्शकों से सॉरी बोलना चाहिए!
राजकुमार संतोषी के साथ ‘फटा पोस्टर...’ करते हुए शाहिद को उम्मीदें तो बहुत थीं लेकिन फिल्म बमुश्किल अब तक अपनी लागत निकाल पाई है.. कुल जमा अब शाहिद का सबकुछ इसी ‘राजकुमार’ पर टिका है!
हिट के लिए प्रभुदेवा के दर पर पहुंचे शाहिद की इस फिल्म में भी कुछ नया दिख नहीं रहा. लेकिन जैसा ‘वांटेड’ और ‘राउडी राठौड़’ जैसी एक्शन फिल्म बना चुके प्रभुदेवा से उम्मीद की जा रही है, बेसिरपैर का एक्शन इसमें भी भरा पड़ा है. ऐसे में अगर दो-चार डायलॉग चल गए और एक-दो ठुमके हिट गए तो शायद शाहिद की गाड़ी दोबारा पटरी पर आ जाए. इश्क करने के लिए शाहिद को ऐसे डायलॉग ही दिए गए हैं.
मेरी लाइफ में सिर्फ दो चीज है... प्यार... प्यार... प्यार या मार.. मार... मार.
मैं पैसे के लिए कुछ भी कर सकता हूं तो सोच मैं अपने प्यार के लिए क्या-क्या करूंगा.
दस साल के फिल्मी करियर में शाहिद कपूर की अब तक 21 फिल्में रिलीज हुईं हैं. इनमें यादगार रही हैं सिर्फ एक ‘कमीने’.. इसके अलावा इम्तियाज अली की ‘जब वी मेट’, सूरज बाड़ताज्या की ‘विवाह’ और पहली फिल्म ‘इश्क विश्क’ में शाहिद के काम की तारीफ हुई है.
लेकिन इतने लंबे करियर में शाहिद कभी सही ट्रैक पर नहीं चल सके. एक अच्छी फिल्म के बाद पांच बुरी फिल्में उनके लिए इंतजार कर रही होती थीं और इस तरह वो जहां से शुरू हुए थे वहीं पहुंच जाते थे.
फिल्मी घराने में पैदा हुए शाहिद ने कैमरे को पहली बार तब देखा था जब साथ में शाहरुख-काजोल-रानी मुखर्जी थे. पेप्सी के विज्ञापन के लिए और बड़े पर्दे पर एक्स्ट्रा कलाकार के तौर पर ऐश्वर्या के पीछे खड़े थे डांसर बनकर. ये सोचकर हैरानी होती है कि इस तरह के संघर्ष के बावजूद शाहिद सीख नहीं पाए और वही गलतियां दोहराते रहते हैं. इस बार तो लक्षण शुरू से ही खराब दिख रहे हैं. ट्रेलर में शाहिद अपना नाम इस तरह से बताते हैं...
नाम क्या है... राजकुमार... पूरा नाम छह दिसंबर को सुन लेना.
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