
साल 2001 में दो ऐसी फिल्में आई थीं जिन्होंने बॉलीवुड की रचनात्मकता ही बदल कर रख दी। ये दो फिल्में थीं 'लगान' और 'दिल चाहता है'। 'लगान' के पीछे आमिर खान थे तो 'दिल चाहता है' फरहान अख्तर की पेशकश थी। बॉलीवुड में नयापन लाने वाले इन दोनों कलाकारों का जादू आज भी बरकरार है।
'लगान' के प्रदर्शन के बाद फिल्म थियेटर स्टेडियम्स में तब्दील हो गए थे। जैसे-जैसे फिल्म अपने क्लाइमैक्स पर पहुंचती थी दर्शक तालियां बजाना और जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर देते थे। आशुतोष गोवारिकर के निर्देशन में बनी यह फिल्म स्वतंत्रता पूर्व के भारत का चित्र खींचती है। यह भारतीयों द्वारा अंग्रेज सरकार को चुकाए जाने वाले लगान और क्रिकेट पर बनी फिल्म है। इसने न केवल बॉलीवुड के लिए नई सम्भावनाएं बनाईं बल्कि यह आमिर के करियर के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई।
आमिर ने इस ऑस्कर के लिए नामांकित हुई फिल्म का निर्माण करने और इसमें अभिनय करने का फैसला लिया था जबकि शाहरुख खान जैसे बड़े अभिनेताओं ने इसे ठुकरा दिया था। आमिर ने अपनी 'मेला' और 'मन' जैसी असफल फिल्में देने के बाद भी इसमें अभिनय का मन बनाया।
'लगान' को लेकर काफी चर्चा थी लेकिन जब 15 जून, 2001 को यह फिल्म प्रदर्शित हुई तो यह न केवल निर्माताओं की उम्मीदों से आगे निकली बल्कि सिनेमा प्रेमियों और आलोचकों को भी यह खूब पसंद आई। इसी दिन सन्नी देओल अभिनीत 'गदर: एक प्रेम कथा' भी प्रदर्शित हुई थी। इन दोनों ही फिल्मों ने बॉक्सऑफिस पर अच्छा व्यवसाय किया।
इसके बाद आमिर ने 'रंग दे बसंती', 'फना', 'गजनी' और '3 इडियट्स' जैसी फिल्में दीं। 'तारे जमीन पर' में उन्होंने अभिनय भी किया और इस फिल्म के निर्माण व निर्देशन की जिम्मेदारी भी संभाली। एक निर्माता के तौर पर उन्होंने 'पीपली लाइव' और 'देल्ही बेली' फिल्में दीं।
'लगान' के प्रदर्शन के दो महीने बाद ही फरहान अख्तर की 'दिल चाहता है' आई। आमिर इसके मुख्य कलाकारों में से एक थे। फिल्म में समकालीन भारतीय युवा और उनकी जिंदगी का चित्रण था। इसे राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। यह फरहान के निर्देशन में बनी पहली फिल्म थी।
बाद में फरहान ने 'लक्ष्य' और 'डॉन: द चेज बिगिन्स अगेन' फिल्में दीं। उन्होंने 'रॉक ऑन!' से अभिनय की शुरुआत की। उन्होंने 'हनीमून ट्रैवल्स प्राइवेट लिमिटेड' और 'लक बाई चांस' जैसी फिल्में भी बनाईं।
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